What Does Shodashi Mean?
Wiki Article
पद्माक्षी हेमवर्णा मुररिपुदयिता शेवधिः सम्पदां या
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
चक्रेश्या पुर-सुन्दरीति जगति प्रख्यातयासङ्गतं
ह्रींमन्त्रान्तैस्त्रिकूटैः स्थिरतरमतिभिर्धार्यमाणां ज्वलन्तीं
क्लीं त्रिपुरादेवि विद्महे कामेश्वरि धीमहि। तन्नः क्लिन्ने प्रचोदयात्॥
The Saptamatrika worship is particularly emphasised for the people looking for powers of Handle and rule, as well as for the people aspiring to spiritual liberation.
हस्ताग्रैः शङ्खचक्राद्यखिलजनपरित्राणदक्षायुधानां
ఓం శ్రీం హ్రీం క్లీం ఐం సౌ: ఓం హ్రీం శ్రీం క ఎ ఐ ల హ్రీం హ స క హ ల హ్రీం స క ల హ్రీం సౌ: ఐం క్లీం హ్రీం శ్రీం
They ended up also blessings to realize materialistic blessings from unique Gods and Goddesses. For his consort Goddess, he enlightened people with the Shreechakra and in order to activate it, a single has got to chant the Shodashakshari Mantra, which can be also called the Shodashi mantra. It is claimed to generally be equivalent to every one of the sixty four Chakras place with each other, in addition to their Mantras.
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
On the fifth auspicious day of Navaratri, the Lalita Panchami is celebrated given that the legends say this was the working day if the Goddess emerged from hearth to destroy the demon Bhandasura.
click here The worship of Tripura Sundari is a journey toward self-realization, the place her divine splendor serves to be a beacon, guiding devotees to the final word truth of the matter.
ज्योत्स्नाशुद्धावदाता शशिशिशुमुकुटालङ्कृता ब्रह्मपत्नी ।
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।